सरस्वती शिशु विद्या मंदिर गिरिडीह में विद्वत परिषद गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गिरिडीह ---- विद्या भारती के चार आयाम के तहत सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, बरगंडा में गुरुवार को विद्वत परिषद गोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ । भारतीय ज्ञान परंपरा, भाषा, कला एवं संस्कृति का शिक्षा में एकीकरण विषय पर विद्वत जनों ने अपने-अपने विचार को रखें । गोष्ठी का उद्घाटन विद्या विकास समिति, झारखंड के उपाध्यक्ष डॉ सतीश्वर प्रसाद सिन्हा एवं प्रधानाचार्य आनंद कमल ने दीप प्रज्वलित कर किया । विद्वत परिषद के प्रवीण सिन्हा ने कहा कि भाषा संवेदना सिखाती है । हमारा जीवन शैली पूर्ण रूपेण वैज्ञानिक है । सुशील कुमार ओझा ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एन ई पी 2020 में समावेशी शिक्षा पर बल दिया गया है ।संस्कृत और संस्कृति को जीवित रखना आवश्यक है । इसके लिए बच्चों को परिवार से जोड़कर रखना होगा ।परिषद के संरक्षक उदय शंकर उपाध्याय ने कहा कि भारतीय जनमानस ने आज भी अपनी संस्कृति को बचाकर रखा है । बच्चों को ज्ञान परंपरा अपने परिवार से ही मिलता है ।इसके लिए अपने बच्चों को प्रेरित करना चाहिए । डा०सतीश्वर प्रसाद सिन्हा ने कहा कि साहित्य कभी लुप्त होने वाली विधा नहीं है । हमारी संस्कृति आज भी जीवंत है । भारत की सांस्कृतिक संपदा का संरक्षण, प्रोत्साहन और प्रसार देश की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि यह देश की पहचान के लिए महत्वपूर्ण है ।गोष्ठी में परिषद के अध्यक्ष मुकेश कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष आरती वर्मा, अनिल कुशवाहा, लाल शंकर पाठक, डॉ छोटू प्रसाद, धर्मेंद्र कुमार, प्रमुख अशोक कुमार ओझा, अजीत कुमार मिश्रा, प्रदीप कुमार सिन्हा, राजेंद्र लाल बरनवाल, हरिशंकर तिवारी, शुभेन्दु चंदन उपस्थित थे ।




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