झारखंडी युवाओं ने भाजपा आजसू की मंशा पर पानी फेरा
छात्र संगठनों ने हेमंत सरकार पर जताया विश्वास आंदोलन रद्द करने का किया एलान
झारखंड में एक नए छात्र आंदोलन की शुरुआत हुई है। इस छात्र आंदोलन का नेतृत्व किसी बड़े राजनीतिक दल या संगठन की ओर से नहीं किया जा रहा है। बल्कि स्वतः स्फूर्त राज्यभर के विभिन्न जिलों में छोटे स्तर से शुरू यह आंदोलन धीरे-धीरे जोर पकड़ता जा रहा है। आंदोलन की शुरुआत झारखंड हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद हुई। कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद साल 2021 में हेमंत सोरेन की ओर से बनाई गई नई नियोजन नीति को रद्द कर दिया। जिससे सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा फॉर्म भरने वाले 7 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में पड़ गया है। ऐसा नहीं है कि झारखंड में पहली बार नियोजन नीति को हाई कोर्ट ने रद्द किया है। 15 नवंबर 2000 से लेकर अब तक विभिन्न सरकार में गठित तीन नियोजन नीति को झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से खारिज किया जा चुका है। वहीं सीएम हेमंत सोरेन की ओर से 5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई थी, लेकिन कोरोनाकाल में ये वायदा पूरा नहीं हो पाया। वहीं वर्ष 2021 में जब हेमंत सोरेन सरकार ने नई नियोजन बनाई, तो युवाओं में ये उम्मीद जगी कि अब राज्य में ही उन्हें सरकारी नौकरी मिल पाएगी। लेकिन हेमंत सोरेन सरकार के करीब 3 साल बीत जाने के बावजूद सरकारी नियुक्तियों का द्वार नहीं खुल पाने के कारण अब युवा सड़क पर उतर आए है।
राज्यभर के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स रांची आना था। रांची पहुंचे प्रदर्शनकारी छात्रों की एक ही प्रमुख मांग है कि 15 दिनों के अंदर नई नियोजन नीति बनाई जाए। प्रदर्शनकारी छात्रों ने मांग की है कि सरकार तत्काल ऐसी नियोजन नीति बनाए, जिससे विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों को तुरंत भरा जा सका। प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझ कर ऐसी नीतियां बना रही हैं, जो रद्द हो जाती है। इनकी वजह से नियुक्तियों पर रोक लग जाती है। रांची में पुराना विधानसभा भवन के निकट राज्य के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे स्टूडेंट्स जमा होने वाले थे। फिर वहां से पैदल मार्च करते हुए नए विधानसभा भवन की ओर कूच करना था। लेकिन झारखंड की हेमंत सोरेन की सरकार ने छात्रों की बातों को समझा और छात्रों से वार्ता के लिए तैयार हुई वार्ता के बाद छात्र नेता देवेंद्र नाथ ने कहा कि हमारी बात सरकार से सकारात्मक रूप से हुई ।आजसू और भाजपा मिलकर छात्रों के कार्यक्रम को हाईजैक करने का प्रयास कर रहे थे और इस पर राजनीति हो रही थी। भाजपा और आजसू मिलकर युवाओं को बरगला रहे थे इसलिए इसे रोकना जरूरी था वार्ता से हम छात्रसंघ सन्तुष्ट हुए साथियों से अपील है कि आप तो परेशान ना हो हेमंत सोरेन सरकार हमारे साथ है ।20 मार्च 2023 छात्रों का जो आंदोलन था जीसमें आप पूरे झारखंड के हर जिले से छात्रा रहे थे ।हम लोग के आंदोलन को हेमंत सोरेन की सरकार ने गंभीरता से लिया जिसका नतीजा सरकार के साथ चर्चा की गई किस तरह से लागू किया जा सकता है, क्या कानून है ,कहां तक इसे लागू कर सकते हैं, भाषा, जिला स्तरीय, भाषा के अधिकार, अधिकतर से अधिकतर मामले पर सरकार की वार्ता से संतुष्ट होने के बाद छात्रों ने अपने कार्यक्रम को स्थगित कर दिया झारखंड में भाजपा और आशु की मंशा पूरी तरह से फेल हो गई। खबर तशफीन मुर्तजा की


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