*राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत् डिस्ट्रिक्ट नॉन कम्युनिकेबल डिजीज सेल द्वारा आज दिनांक 09.10.2023 को गोड्डा, जिले के चार अलग-अलग प्रखंडों के विद्यालयों में तंबाकू उत्पाद के सेवन से होने वाले घातक दुष्परिणाम एवं मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के तहत् कार्यशाला का आयोजन किया गया।*
उक्त आशय की जानकारी देते हुए सेल के कर्मी ने बताया कि जागरूकता अभियान के क्रम में सुंदरपहाड़ी, प्रखंड अंतर्गत संत जोसेफ उच्च विद्यालय, डमरूहाट में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी श्री सोहन लाल, श्रीमती रजनी तिर्की एवं श्रीमती शीला रानी खालखो महागामा, प्रखण्ड में राजकीयकृत उत्क्रमित उच्च विद्यालय में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी श्रीमती कुमारी सरस्वती एवं श्रीमती जसीनता मरांडी, सदर प्रखण्ड में उत्क्रमित उच्च विद्यालय , अमरपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी श्रीमती प्रीति सोरेन एवं जसीनता किस्कु एवं श्रीमती शोभा मेहरमा, प्रखण्ड में पारसनाथ उच्च विद्यालय, घोरीकिता उत्क्रमित उच्च विद्यालय में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी श्रीमती दिव्य कच्छप, श्रीमती सोनी कुजूर एवं श्रीमती किरण कुमारी के द्वारा उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यशाला में विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक की उपस्थिति मे सभी छात्रों को तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए भविष्य में कभी भी तंबाकू उत्पाद सेवन नहीं करने का शपथ दिलाया गया। बच्चों के बीच प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया एवं प्रदर्शन के अनुरूप उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले शीर्ष तीन छात्रों को पुरस्कृत किया गया। उसके पश्चात शपथ ग्रहण के माध्यम से विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने तंबाकू के प्रयोग से दूर रहने तथा अपने परिवार एवं समाज के लोगों को इसके संभावित खतरों से आगाह करने का संकल्प दिलाया गया।
उक्त कार्यशाला मे यह बताया गया कि, तंबाकू उत्पाद सेवन के लत से भारत मे 37% लोग ग्रसित हैं। प्रतिदिन 5500 युवा इस लत के शिकार बनते है, जो की एक अत्यंत चिंता का विषय है। नशे के आदि हो चुके युवा शक्ति में अब सोचने समझने, विवेक ,तर्क वितर्क करने की शक्ति क्षीण होती जा रही है, और युवा अवसाद, आत्महत्या एवं अपराध के कुचक्र मे फसते जा रहे हैं। नशे के निवारण के लिए सबसे पहला उपाय यही है कि, बचपन से बच्चे को नशे से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जाए ,जब बच्चा किशोरावस्था में प्रवेश करें तब अभिभावकों एवं शिक्षकों को चाहिए कि वह उन्हें समय दे ,उनसे बातचीत करें और उन पर थोड़ी निगरानी रखे और अगर गलती से कोई युवा नशे की चपेट में आ भी गया तो उसे उचित तरीके से समझा कर किसी और अभिरुचि में व्यस्त करें ,आवश्यक हो तो नजदीकी नशा मुक्ति केंद्र पर ले जाकर नशा छुड़वाने का प्रयास करें। परंतु सबसे बड़ा निवारण यही होगा कि अभिभावक बच्चों को नैतिक एवं मानसिक रूप से मजबूत बनाएँ उन्हें भावनात्मक परेशानियों से सामना करने को समर्थ बनाएं ताकि जीवन के कठिन समय मे उचित और सही निर्णय ले सके।*श
*अंत मे,“आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्”*
निरोगी होना परम भाग्य है, और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं। स्वास्थ्य है तो सबकुछ है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। स्वयं धूम्रपान न करें एवं दूसरों को भी धूम्रपान न करने को प्रेरित करें।


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