कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखण्ड के कृषि प्रभाग द्वारा संचालित कृषि यांत्रिकीकरण प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत भूमि संरक्षण कार्यालय, पाकुड़/गोड्डा के तत्हाड़ी प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में वित्तीय वर्ष 2021-22 में जनजातीय क्षेत्र उपयोजना में छोटे कृषि उपकरण बैंक योजना अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध सुंदरपहाडी और बोआरीजोर प्रखंडों में जेएसएलपीएस द्वारा गठित कुल 10 महिला स्वयं सहायता समूहों को श्री जिशान कमर, उपायुक्त, गोड्डा के कर कमलों से मिनी ट्रैक्टर, रोटा वेटर एवं अन्य सहायक कृषि यंत्रों का वितरण किया गया।
कृषि यांत्रिकीकरण प्रोत्साहन योजना के छोटे कृषि उपकरण बैंक उपयोजना के अंतर्गत निम्नलिखित महिला स्वयं सहायता समूहों को मिनी ट्रैक्टर, रोटा वेटर एवं अन्य सहायक कृषि यंत्र प्रदान किए गए:--
7. लॉगफुल महिला मंडल, बाबूपुर, बोआरीजोर
ज्ञात हो कि झारखण्ड राज्य में कृषि कार्य में यांत्रिकीकरण की व्यापक भूमिका को देखते हुए व्यक्तिगत कृषकों, महिला स्वयं सहायता समूहों एवं अन्य कृषक समूहों को पंप सेट , एचडीपीई पाइप, सोलर पंप सेट के वितरण के अतिरिक्त मिनी ट्रैक्टर, पावर टिलर, सहायक कृषि यंत्र,कृषि प्रसंस्करण यंत्र इत्यादि उपलब्ध कराने हेतु छोटे कृषि उपकरण बैंक की योजना चलाई जा रही है। छोटे कृषि उपकरण बैंक योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों, महिला सखी मंडल, कृषक समूहों आदि को योजना लागत की कुल राशि 6.25 लाख रुपए का 80% या अधिकतम अनुदान 5 लाख रुपए पर छोटे कृषि उपकरण बैंक की स्थापना हेतु मिनी ट्रैक्टर, पावर टिलर, सहायक कृषि यंत्र इत्यादि का वितरण किया जाता है, ताकि वे उक्त कृषि यंत्रों का स्वयं उपयोग करें अथवा अन्य कृषकों को भाड़े पर उपलब्ध कराकर अपनी आय में वृद्धि कर सकें। व्यक्तिगत कृषकों के लिए अधिकतम योजना लागत 2 लाख रुपए है, जिसका 80% या अधिकतम अनुदान 1.60 लाख रुपए देय होता है।
ग्रामीण विकास विभाग के संकल्प के अनुसार जेएसएलपीएस को राज्य में स्वयं सहायता समूहों एवं उनके संगठनों के संचालन एवं प्रबंधन हेतु नोडल एजेंसी के रूप में अधिकृत किया गया है। उक्त योजना हेतु जिला के भूमि संरक्षण पदाधिकारी जेएसएलपीएस के साथ आवश्यक समन्वय स्थापित कर लाभुक समूहों के चयन का कार्य करते हैं। अन्य संस्थाओं द्वारा गठित महिला स्वयं सहायता समूह भी उक्त योजना से आच्छादित होते हैं।
छोटे कृषि उपकरण बैंक की स्थापना में वैसे महिला स्वयं सहायता समूहों, महिला सखी मंडलों, कृषक समूहों को प्राथमिकता दी जाती है, जिस समूह के सदस्यों के पास खेती योग्य कुल दस एकड़ से अधिक भूमि होगी। वैसे समूहों को भी प्राथमिकता दी जाएगी, जिस समूह के सदस्यों में से कम से कम एक सदस्य के पास ट्रैक्टर/ वाहन (एलएमवी) चालन का वैध लाइसेंस होगा।


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